रविवार, 24 जुलाई 2011

दिल्ली ट्रेफिक पुलिस: महज़ एक समस्यायों का पुलिंदा या कुछ और

"फेसबूक पर एक पन्ना"






महज़ सामाजिक वैबसाइट पर अपना पन्ना बना देने से या फिर सदस्यों के द्वारा की गयी टिप्पणी या शिकायत के उपर अपनी "पूर्व निर्धारित" टिप्पणी देने से समाधान नहीं निकलता। मैं ऐसा बिलकुल नहीं कहना चाहता हूँ की यह पन्ना महज़ एक दिखावा है यहाँ से अमल भी किया जाता है मैं आपके द्वारा की गयी इस पहल के लिए आपको बधाई देना चाहता हूँ की आपकी कोशिश काफी कबीले तारीफ है परंतु इतना ज़रूर कहना चाहूँगा की "रोचक नंबर प्लेट" के चालान भर काटने से आम जनता को राहत नहीं मिलती है।



मैं ये लिखने पर इसीलिए मजबूर हुया हूँ क्योकि मैं इतना जनता हूँ की धूआं वही उठता है जहां आग हो। और इस पन्ने पर आए दिन सब अपनी पहले से की हुयी शिकायत के ऊपर कार्यवाही क्यो नहीं की उसके बारे मे जानना चाहते है। आखिर मे बस एक बात यदि कमी 1 प्रतिशत भी हो तो कमी कमी ही रहेगी जिसकी वजह से कोई भी आपको पूर्णता मुकम्मल नहीं कहेगा।

दीपक जैन - २५-जुलाई-२०११

1 टिप्पणी: