मेरी कलम से
कलम कब हाथ में आई पता न मुझको चल पाया मेरे ही अंतरमन में से यह लेख उभर आया
सोमवार, 23 जनवरी 2012
अब तो विचारो पर भी रोक लगेगी भईया।
अजीब लगा क्या? अजीब तो लगेगा ही क्योकि अगर आपको कोई बोले के अब आप अपने विचारो को, अपनी सोच को वक्तीगत रूप से प्रस्तुत नहीं कर सकते तो अजीब लगना तो लाज़मी हैं। हमारे माननीय टेलिकॉम मिनिस्टर कपिल सिब्बल जी के बयान से तो ऐसा ही लगता है।
और जानिएं »
नई पोस्ट
पुराने पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
संदेश (Atom)