फिर गूँज उठा भारत का गौरव
आतंको की ललकारो से
टूट न जाये होसला हमारा
इन दर्द भरी पुकारो से
अभी तो हमको कदम मिलाकर
चलना सबके साथ है
हर अँधेरी रात के बाद
फिर उजयाली रात है
ये श्रन्धांजलि है नाम उनके
जिन्हें ले गया तूफान
नहीं छोड़ेंगे उन दरिंदो को
मन मे है बदले उफान
झलक कर गिर पड़े आंसू
मंज़र देख कर ऐसा
हमला किया किसी ने या कहे
कुदरत का खेल ये कैसा
कलम भी रो पड़ी मेरी बयां वो दर्द न कर पाई
क्यों चोट खा कर भी मुझे अकल नहीं आई
realy sir u r right...
जवाब देंहटाएंदीपक भाई सच में बेहद दुखदाई व निंदनीय है, यह सब| पता नहीं कब तक भारत की जनता इसी प्रकार फटती रहेगी? अब तो राउल विन्ची ने कह दिया है कि एक दो हमले तो होंगे ही...हम हर हमले को तो रोक नहीं सकते न...
जवाब देंहटाएंऐसे नपुंसक आदमी को यदि भारत की जनता भावी प्रधान मंत्री के रूप में देखना चाहती है तो बेशक ये जनता इसी प्रकार बम धमाकों में मरने की अधिकारी है...
दिनेश भाई आपके आगमन पर धन्यवाद
जवाब देंहटाएंयार समझ नहीं आता की हम किस को अपना नेता चुने
दीपक भाई बेहद दुखदाई व निंदनीय है,
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