रविवार, 6 जनवरी 2013

शायद संवेदनाए लौट आए

'मैं अगर सोंचू की 21वीं सदी का इतिहास मैं कैसे लिखू तो सिर्फ दो खास बाते ही ध्यान में आएँगी। अक यह की पुराने जमाने में गरीब हमेशा हमारे बीच रहते थे।  21वीं सदी में हमने उन्हे हमारे दिल और जमीन से बहिष्क्रत कर दिया। दूसरा यह की 21वीं सदी में हम संवेदनहीन हो गए है। हमने औरों का दर्द महसूस करना बंद कर दिया। दिल्ली में हुईं दर्दनाक घटना के बाद सारा देश एक अनजान लड़की को इंसाफ दिलाने के लिए आवाज़ उठा रहा है। लगता है शायद संवेदनाए लौट आए।...... लेकिन क्या हम हमेशा इसी तरह औरों का दर्द समझ पाएंगे या फिर कुछ समय अंतराल के बाद फिर उसी ढर्रे पर चले जाएंगे।

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