मुझे सही और गलत का बोध नहीं है पर इतना जानने
का इक्छुक हूँ की यदि ये लोग कालका मंदिर या वंही महरौली के पास छत्तरपुर
मंदिर के दर्शन करके आ रहे होते तब कोई हादसा होता तो क्या उस अवस्था मे
उन्हे मदद की गुहार करनी चाहिए या ये लोग महज़ दोस्त न हो कर रिश्तेदार होते
तब ही उन्हे मदद मांगने का हक़ था न की अब की ये लोग दोस्त और वो भी सिनेमा
से मस्ती करके आ रहे थे इसीलिए इन लोगो को मदद मांगने का कोई हक़ नहीं था।
पता नहीं क्यो लोगो की बात मुझे थोड़ा सा झकझोर रही है की क्या वो लड़का
हमारी कमियो को, हमारे कानून को, हमारी व्यवस्था को हमसे रुबुरु करा रहा है
तो गलत कर रहा है। खेर वो लोग कहा से आ रहे थे क्या कर रहे थे क्यो कर रहे
थे किस लिए कर रहे थे सब इस पर क्यो विचार कर रहे हैं जब से उस लड़के ने
बयान दिया है इस पर क्यो विचार नहीं कर रहे की घटना बाद का असली जिम्मेदार
कौन है वो लड़का की वो सीधे खुद अस्पताल क्यो नहीं गया या वो लोग जो करीब थे
घटना के बाद या वो कानून जो लाचार है कई कारणो से। मेरा खुद इस कानून और
मेरी तरह भारतीयो के साथ एक तजुर्बा रह चुका है वो वक़्त ऐसा था की मैं अगर
अब भी सोचता हूँ तो लगता है की क्या वाकई मे हमारे कानून मे इतनी गठाने है
की जिन्हे खोलते खोलते पीड़ित व्यक्ति दम तौड़ दे। शायद मेरी भावना को आप समझ
पाये हो।
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