गुरुवार, 26 मई 2011

देख तरक्की भारत की

लोग कह रहे देख तरक्की, अपना भारत कैसा अब
ऊची इमारत चौड़ी सड़के, पहले ये नहीं था सब
सरपट चलती रोड पे गाड़ी आसानी से पोह्चाती
इधर उधर तू देख ज़रा तू देख तरक्की भारत की



सचमुच क्या ऐसा लगता है, तरक्की हमने करली
या फिर लिखी किताबो की बाते हमने ही पड़ली
तू खुद से पूछ ज़रा क्या हमने की तरक्की है
या फिर जा कर देख कंही पर दिखती कंही तरक्की है

एक नज़र से मैं दिखाऊ कैसा भारत अपना है
लोग यहाँ अब भी ऐसे रोटी जिनका सपना है
अब भी मरते भूखे लोग, अब भी लाखो सड़क पर है
भीख मांगते लाख यहाँ, जहाँ तेरी वही तरक्की है

रोजी रोटी की खातिर लोग यहाँ भटकते है
मांग वोट कर नेता तेरे बाद नहीं फटकते है
वोही नेता जन जन को ये रूप नया है दिखलाता
नाम तरक्की कह कह कर वो दुनिया को है बतलाता

रूपया पैसा, मान की खातिर तू ये क्या करता है
मात पिता और धरम गुरु से अब क्या तेरा नाता है
बोल तरक्की कह कह कर क्यों अपनों से तू दूर गया
इतना आगे चला गया की हर रिश्ता अब छूट गया

तू बोल ज़रा उन लोगो से जो कहते इसे तरक्की है
मार झेलते गरीबी की वह लोग यहाँ पर अब भी है
दिखा ज़रा तू देश की हालत जिन्हें नज़र नहीं आता है
बैठे महल के अन्दर से क्या उन्हें पता  नहीं चलता है

पुल बना कर रोड बना कर जोड़ रहे है शहर शहर
भूल गए उन लोगो को, भूख बनी है जिधर  कहर
अब भी कई ऐसे है गाँव जहाँ नहीं है बिजली पानी
दास्ताँ ये भारत की तू सुन कर देख खुद की जुबानी

यही शकल है भारत की और यही है इसका वर्तमान
क्या लड़की और क्या है लड़का देखो सबको एक समान
बदल सको तो सोच को बदलो, बदलेगा तब भारत अपना
हो जायेगा जिस दिन ये सच, तब होगा पूरा हर सपना

भूखो की रोटी के नाम, जेब कई है भर रहे
लाखो टन अनाज यहाँ, गौदमो सड़ रहे
नेता हमारे देश के क्या उन्हें नहीं ये दिख रहा
ईमान यहाँ पर उनका क्यों खुले आम है बिक रहा

यही है मेरे देश की हालत यही यहाँ की है कहानी
माफ़ करना मुझको तुम समझ कर इसको मेरी नादानी
पर तुम भी फिर एक बार सोच कर ये देखना
की देश हमारा, लोग हमारे, क्या हुयी तरक्की हमारी है

फिर कहना तुम दिल से अपने की देख तरक्की भारत की
तू देख तरक्की भारत की .................




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