शनिवार, 18 जून 2011

मौत की दौड़:- भाग दो:

"हे भगवन अब ओर क्या दिखाना बाकी है" मेरे मुख से स्वतः ही ये शब्द फूट पड़े ओर मुझे ऐसा प्रतीत हो रहा था की मेरी छाती फट गयी है पर में उसे देखने की भी हालत में नहीं था अपने को सँभालने की भरपूर कोशिश कर रहा था अब तो बस उस पर ही भरोसा था....

भाग दो से आगे............

मेरी अचानक ही आँख खुली तो मेरे सामने खुला आस्मां नज़र आ रहा था, मेने अपनी आँखों को झपक कर समझने की कोशिश करी की में किधेर हूँ
तभी मेरी नज़र उन पक्षियों पर पड़ी जो ठीक मेरे ऊपर उड़ रहे थे उन्हें देख कर मुझे समझते देर नहीं लगी ओर मुझे वो सब एकदम से याद आ गया जो मेरे साथ बीता था पर मुझे ये समझ नहीं आ रहा था की आसमान इतना शांत क्यों है शायद में बेहोश हो गया होऊंगा ओर तूफ़ान अब चला गया है मेने हाथ उठा कर अपनी घडी में वक़्त का जाएजा लिया देखा तो उसमे 10 बज रहे थे. दस ऐसा कैसे हो सकता है तूफ़ान तो दोपहरी के वक़्त आया था ओर अभी तो सूरज निकला हुआ है ओर 10  बज रहे है यानि सुबह से दस, में समझने का प्रयास करने लगा अपनी घडी दोबारा देखि कंही बंद तो नहीं हो गयी है घडी सो ठीकठाक चल रही थी ओर दिन सोमवार बता रही थी ओह अब समझा मतलब तूफ़ान कल आया था यानि इतवार को ओर में उसी वक़्त से बेहोश पड़ा हु ओर आज होश आया है में पिछले कई घंटो से ऐसे ही पड़ा था ये प्रभु तेरी ये कैसी लीला है में सहारा ले कर उठने की कोशिश करने लगा तो मुझे अपनी छाती में दर्द का अहसास हुआ तो याद आया की मेरी छाती से कुछ आ कर टकराया था और में अपनी छाती की ओर देखने लगा तो मुझे अपनी कमीज़ पर कुछ लाल धब्बे नज़र आ रहे थे शायद मेरे घाव हो गया है मेने अपनी कमीज़ ऊपर उठा कर देखा, भगवान् का शुक्र है की ज्यादा नहीं लगी खेर जैसे तैसे मेने अपने आप को संभाला ओर अपने आस पास देखने लगा तो पता चला की मेरे साथ तो मेरा सामान था उसमे से बस तो मेरे बदन पर है वोही बचा है बाकी किधर गया कुछ पता नहीं बस दूर तक खली रेगिस्तान ही नज़र आ रहा था मेरे पास तो अब दवाई भी नहीं बची थी पर उस से बड़ी समस्या मेरी आँखों के सामने घुमने लगी मेरे दिमाग में विचार आया की तू किधर से आया था ओर किधर जाना है मेरे दिमाग में येही सब चल रहा थे की खड़े होने पर पता चला की में जिधर खड़ा हु वो एक ऊंचा टीला है पर मेरी समझ में ये नहीं आ रहा था की में यहाँ कैसे पोहुचा मेने अपने गले से कम्पस निकला और दिशाओ को समझने लगा पर फिर एक और मुसीबत मेरे सामने आ कड़ी हुयी कम्पस काम नहीं कर रहा था शायद इसी पर वो चीज़ सीधे आ कर लगी होगी मेने सोचा की एक बार अपना GPS ट्रैकर तो देख लू अपने बाजु पर भन्दा वो ट्रैकर टटोलने लगा तो डेथ रेस शुरू होने से पहले मेरे बंधा गया था वो मुझे मिल गया और शायद वो काम भी कर रहा था उसकी लाइट ग्रीन थी, अब मुझे ये निर्धारित करना था की में किधर की तरफ आगे बदु में चारो तरफ का मुऔना करना लगा और मेरी नज़र ऊपर पड़ी तो जो पक्षी मेरे ठीक ऊपर उड़ रहे थे वो मुझमे हलचल होने की वजह से वह से चले गए थे मैंफिर चारो तरफ देखने लगा मुझे सभी दिशा एक सामान नज़र आ रही थी कुछ समझ नहीं आ रहा था की किधर बड़ा जाये ज्यादा गौर करने पर मुझे एक तरफ कुछ काले धब्बे नज़र आ रहे थे शायद झोपडिया होंगी पर फिर सोचा रेगिस्तान कैसे हो सकती है खेर इसी तरफ बदने का फैसला लिया मैंने जैसे ही आगे बदने के लिए अपने कदम बडाये तो लगा की मेरे शारीर में अब कुछ बाकी नहीं बचा है एक कदम भी आगे बदने की हिम्मत नहीं हो रही थी पर क्या करता या तो यही पर पड़े रहता जिस से कुछ होने वाला तो नहीं था चलना तो मुझे फिर भी थे अपनी हिम्मत को इकठा करके फिर से चलने के लिए कदम बदने लगा और धीरे धीरे उस ओर बदने लगा शारीर साथ तो नहीं दे रहा था पर ओर करता भी क्या अब तो चलते चलते भी मुझे काफी समय हो गया है पर हाँ रेत अब मुझे कुछ कम सी लग रही है अब तो धीरे धीरे सूरज भी छोपने लगा था और अँधेरा सा छाने लगा था उन काले धब्बो ने अब कुछ आकृति सी ले ली थी और मुझे घर जैसे लग रहे थे उन्हें देख कर मेरे man में ख़ुशी की लहर दौड़ गयी पर अँधेरा होने की वजह से में ज़ल्दी भी पहुचना चाहता था मैं सिर्फ उनकी तरफ बड़े जा रहा था पर समझ नहीं आ रहा था की आगे क्या है उस तूफ़ान से तो में जैसे तैसे बचा था अब तो सूरज ने भी dikhna बंद कर दिया था काफी देर चलने के बाद में वहां पोहच ही गया चारो तरफ घूप अँधेरा था  छोटी छोटी झोपडिया बनी हुयी थी परन्तु मेने सोचा था की मुझे यहाँ कोई न कोई तो मिलेगा पर यहाँ तो एक दम ख़ामोशी थी जैसे कोई मातम हो और यहाँ से रेगिस्तान तो काफी पीछे रह गया था इसीलिए यहाँ घर बने हुए होंगे यहाँ से किसी गाँव जाने के लिए तो कोई रास्ता होगा  पर यहाँ की इतनी शांति दक्ख कर में दांग था कही कोई रौशनी भी नहीं क्या सभी लोग सो चुके है ऐसा हो भी सकता है बोहत सोच कर मेने एक दरवाजे पर दस्तक दी काफी देर तक में उस दरवाजे को बजता रहा परन्तु जब कोई जवान नहीं आया तो सोचा की शायद सब सो रहे होंगे में उस दरवाजे का सहारा ले कर उठने की कोशिश कर ही रहा था की वो दरवाजा एक दम से खुल गया मेने अपने सर को उठा कर ऊपर देखा तो में हैरान था

बाकी अगले भाग में ज़ल्दी ही .....

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